यूरोप की नौकरी छोड़ दो इंजीनियरों ने बनाया ‘पहाड़ी AI’: अब गढ़वाली-कुमाऊँनी में मिलेंगे हर सवाल के जवाब
Pahadi AI का कमाल अब पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन गया है। राज्य के दो युवा इंजीनियर, जो यूरोप में हाई-पैकेज पर काम कर रहे थे, अपनी भाषा और संस्कृति के लिए कुछ बड़ा करने का सपना लेकर वापस लौट आए। लौटने के बाद दोनों ने मिलकर ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल तैयार किया है जो गढ़वाली और कुमाऊँनी—दोनों भाषाओं में किसी भी सवाल का जवाब दे सकता है।
इन इंजीनियरों ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में तकनीक की पहुंच तो बढ़ रही है, लेकिन भाषा की वजह से अब भी कई लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म से दूर हैं। इसी अंतर को खत्म करने के लिए उन्होंने ‘पहाड़ी AI’ की कल्पना की। यह मॉडल न सिर्फ स्थानीय भाषाओं को समझता है बल्कि बिल्कुल प्राकृतिक अंदाज़ में जवाब भी देता है, जिससे बुजुर्गों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को तकनीक का इस्तेमाल आसान लगेगा।
टीम के अनुसार इस AI को प्रशिक्षित करने में सबसे ज्यादा मेहनत लोकभाषाओं के शब्दकोश, मुहावरों और बोलचाल के पैटर्न को इकट्ठा करने में लगी। हजारों वॉइस सैंपल, लोकगीतों, कहावतों और दैनिक बातचीत के आधार पर इसे ट्रेन किया गया है ताकि जवाब बिल्कुल स्थानीय अंदाज़ में मिले।
दोनों इंजीनियरों का कहना है कि उनका उद्देश्य भाषा को सिर्फ संरक्षित करना नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक से जोड़कर नई पीढ़ी को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करना है। आने वाले समय में इस ‘पहाड़ी AI’ को सरकारी सेवाओं, पर्यटन मार्गदर्शन, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी शामिल करने की योजना है। यह उत्तराखंड के लिए डिजिटल बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
Author: Umesh Kumar
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