किसान मौत: केमिकल छिड़कने से 2 साल में 511 किसानों की जान गई
किसान सुरक्षा को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। खेतों में केमिकल और पेस्टीसाइड छिड़कने के दौरान पिछले दो साल में कुल 511 किसानों की मौत हो गई। यह आंकड़ा कृषि क्षेत्र में बढ़ते रासायनिक जोखिम और सुरक्षा उपायों की भारी कमी को दर्शाता है।
किसानों की मौत ज्यादातर उन मामलों में हुई जहां बिना सुरक्षा किट, मास्क और ग्लव्स के जहरीले छिड़काव किए जा रहे थे। कई राज्यों में किसान भारी गर्मी के दौरान सीधे स्प्रे मशीनें लेकर खेतों में उतर जाते हैं, जिससे तेज़ केमिकल शरीर में घुस जाता है और सांस रुकने, बेहोशी, हार्ट फेलियर या ज़हर असर जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अभी भी बड़ी संख्या में किसान पुराने, अत्यधिक जहरीले पेस्टीसाइड का उपयोग करते हैं। सुरक्षा उपकरणों की कीमत और उनकी उपलब्धता भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी समस्या बनी हुई है।
कृषि संगठनों ने सरकार से मांग की है कि किसानों के लिए सुरक्षा उपकरण अनिवार्य किए जाएं, जागरूकता अभियान चलाए जाएं और खतरनाक केमिकल्स पर कड़ी निगरानी लगाई जाए।
कई राज्यों में परिवारों को मुआवजा देने और सुरक्षित खेती तकनीक सिखाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
Author: Umesh Kumar
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