CM ममता ने SIR विरोधी रैली में केंद्र सरकार को खुली चेतावनी दी। उन्होंने कहा, ‘अगर बंगाल में किसी मतदाता का नाम कटा तो मैं पूरे देश को हिला दूंगी।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला है।
उत्तरी 24 परगना के बनगांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, सीएम ममता ने खुले तौर पर चेतावनी दी कि अगर SIR के नाम पर बंगाल में किसी भी वैध मतदाता का नाम सूची से हटाया गया, तो वह “पूरे देश को हिला देंगी” और बीजेपी की नींव को उखाड़ फेंकेंगी।
‘चुनाव आयोग नहीं, ये BJP आयोग है’
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में चुनाव आयोग (EC) पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष रहना है, “बीजेपी कमीशन” बनना नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से SIR प्रक्रिया को लागू करके लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने की कोशिश कर रही है।
सीएम ममता के प्रमुख बयान:
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“मैं जान दे दूंगी, लेकिन किसी का भी अधिकार छीनने नहीं दूंगी। एक भी वैध मतदाता का नाम कटने पर दिल्ली जाकर बड़े आंदोलन और घेराव की चेतावनी दे रही हूँ।”
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“अगर एक भी नाम कटा, तो केंद्र सरकार गिर जाएगी।”
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उन्होंने SIR को ‘साइलेंट, इनविजिबल रिगिंग’ (Silent, Invisible Rigging) करार दिया और कहा कि यह प्रक्रिया NRC (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) का दूसरा रूप है।
मतुआ समुदाय को आश्वासन
बनगांव मतुआ समुदाय का गढ़ माना जाता है, जहाँ मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से लोगों को आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि वह मतुआ समुदाय के सदस्यों का नाम मतदाता सूची से बाहर नहीं होने देंगी, चाहे उन्हें इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े। उन्होंने BJP पर CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) कार्ड के नाम पर लोगों से पैसे उगाहने का भी आरोप लगाया।
TMC इस मुद्दे को बंगाली अस्मिता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की लड़ाई के रूप में पेश कर रही है। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने कोलकाता में संविधान की प्रति हाथ में लेकर SIR के खिलाफ एक विशाल विरोध मार्च का भी नेतृत्व किया था।
आगे की स्थिति: इस आक्रामक रुख के बाद, पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान और तेज होने की उम्मीद है। अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार, BJP और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
Author: Umesh Kumar
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