📰 भारतीय शिक्षा प्रणाली: परिवर्तन और चुनौतियाँ
शिक्षा प्रणाली देश के भविष्य की नींव होती है, और भारत में यह प्रणाली इस समय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत एक व्यापक परिवर्तन से गुज़र रही है। जहाँ सुधारों का उद्देश्य वैश्विक मानकों को छूना है, वहीं जमीनी स्तर पर बुनियादी साक्षरता और डिजिटल पहुँच की चुनौती बरक़रार है।
🚀 बड़े सुधारों पर फोकस
शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
- AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का समावेशन: शिक्षा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के उद्देश्य से, कक्षा 3 से ही AI की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव है। यह कदम छात्रों को छोटी उम्र से ही तकनीकी कौशल से लैस करने पर केंद्रित है।
- परीक्षाओं में लचीलापन: छात्रों के मानसिक दबाव को कम करने के लिए, बोर्ड परीक्षाएँ (कक्षा 10वीं और 12वीं) अब साल में दो बार आयोजित की जा सकती हैं। यह पहल छात्रों को अपने प्रदर्शन को सुधारने का दूसरा मौका देगी।
- नया ढाँचा: शिक्षा प्रणाली ने पारंपरिक 10+2 संरचना को त्यागकर 5+3+3+4 मॉडल अपनाया है, जिसमें प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ECCE) को प्राथमिकता दी गई है।
- शिक्षक सशक्तिकरण: शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों के लिए अनिवार्य वार्षिक ट्रेनिंग (50 घंटे) को लागू किया गया है।
📉 जमीनी चुनौतियाँ: रियलिटी चेक
सुधारों के बीच, मीडिया रिपोर्टों और विभिन्न सर्वेक्षणों (जैसे ASER) ने शिक्षा प्रणाली के समक्ष कुछ गंभीर चुनौतियाँ उजागर की हैं:
- बुनियादी साक्षरता का संकट: रिपोर्टों के अनुसार, लाखों बच्चे अपनी आयु-उपयुक्त कक्षाओं से पीछे हैं। कक्षा 3 के एक बड़े हिस्से में बुनियादी पढ़ना-लिखना और गणित का कौशल नहीं है। यह शिक्षा प्रणाली के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में इंटरनेट और कंप्यूटर जैसी सुविधाओं की कमी है, जिससे ऑनलाइन शिक्षा या आधुनिक शिक्षण विधियों को लागू करना मुश्किल हो रहा है।
- कोचिंग और दबाव: NEET और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का अत्यधिक दबाव छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। कोचिंग संकट और उससे जुड़ी आत्महत्याएँ शिक्षा प्रणाली में मौजूद ‘रैंक-केंद्रित’ मानसिकता को दर्शाती हैं।
🎯 निष्कर्ष
भारत की शिक्षा प्रणाली एक व्यापक बदलाव की राह पर है। NEP 2020 जैसे नीतिगत सुधार शिक्षा प्रणाली को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इन सुधारों की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या सरकार बुनियादी साक्षरता के संकट को दूर करने और स्कूलों में आवश्यक बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करती है।
Author: Umesh Kumar
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