90 के दशक की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने सांसारिक जीवन त्याग कर वैराग्य का मार्ग अपना लिया है. खबरों के अनुसार, ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े में संन्यासी बन गई हैं और वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने जा रही हैं.उन्होंने अपना पिंडदान कर दिया है और अब वे एक वैरागी का जीवन व्यतीत करेंगी.
श्री यामाई ममता नंद गिरि होगा नया नाम
दीक्षा के बाद ममता कुलकर्णी को नया नाम दिया गया है – श्री यामाई ममता नंद गिरि. किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष और जूना अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें दीक्षा दी है.
यह ध्यान देने योग्य है कि किन्नर अखाड़े को अभी तक आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है, इसलिए यह वर्तमान में जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है.कैसे बनते हैं महामंडलेश्वर?
महामंडलेश्वर की दीक्षा एक कठिन प्रक्रिया है जिसमें तपस्या और समय लगता है. इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
गुरु के सानिध्य में शिक्षा: सबसे पहले, व्यक्ति को किसी गुरु के साथ जुड़कर आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करनी होती है. इस दौरान, व्यक्ति का आचरण, पारिवारिक मोह का त्याग और साधना गुरु की देखरेख में होती है.
परीक्षा और सेवा: जब गुरु को लगता है कि आवेदक इस पद के योग्य हो गया है, तो उसे दरबान से लेकर भंडारे और रसोई जैसे कार्यों में लगाया जाता है. सालों की सेवा और त्याग के बाद, जब व्यक्ति पूरी तरह से अध्यात्म में लीन हो जाता है, तब गुरु उसे संत बनने के लिए तैयार मानते हैं.
अखाड़े में दीक्षा: गुरु, जिस अखाड़े से जुड़े होते हैं, उसमें आवेदक को उसकी योग्यता के अनुसार महामंडलेश्वर की दीक्षा दिलाई जाती है.
पृष्ठभूमि का सत्यापन (वेरिफिकेशन): आवेदन के बाद, अखाड़ा परिषद आवेदक के गुरु पर भरोसा करती है. इसलिए, गुरु जिन शिष्यों को लेकर आते हैं, उनसे ही पृष्ठभूमि की जानकारी मांगी जाती है. यदि किसी पर कोई संदेह होता है, तो अखाड़ा परिषद स्वयं आवेदक के घर, परिवार, गांव, तहसील और पुलिस स्टेशन का सत्यापन करवाती है. आपराधिक पृष्ठभूमि की भी जांच की जाती है. यदि कोई किसी भी जानकारी में अयोग्य पाया जाता है, तो उसे दीक्षा नहीं दी जाती है और आवेदन रद्द कर दिया जाता है.दीक्षा की पूरी प्रक्रिया
महामंडलेश्वर
बनने की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है:
अखाड़े में आवेदन: सबसे पहले, व्यक्ति को संबंधित अखाड़े में आवेदन देना होता है.
